भेलसर(अयोध्या)-अब्दुल जब्बार एड्वोकेट व् डॉ0 मो0 शब्बीर के साथ ताहिर रिज़वी की रिपोर्ट, मुश्किल कुशा शेरे खुदा हज़रत अली मुर्तुज़ा की याद मे पूरे देश मे ईद-ए-ग़दीर का त्योहार बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया।
मौला-ए-कायनात हज़रत अली अ0स0 को 18 जिलहिज के दिन हज़रत मोहम्मद मुस्तुफा सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने विलायत का एलान किया था।इस मुबारक दिन को ईद-ए-ग़दीर के नाम से मनाया जाता है।ईद-ए-ग़दीर के मुबारक त्योहार को आज शिया समुदाय के लोगो ने बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया।
रुदौली क्षेत्र में मे भी ईद ऐ ग़दीर का जश्न पूरी शानो शौक़त के साथ मनाया गया।ईद-ए-गदीर के अवसर पर शिया मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में तिलावते कलाम-ए-पाक के साथ मौला अली(अ.स.)की शान में कसीदाखानी व तकरीरो का आयोजन किया गया।मस्जिदों में आमाल-ए-गदीर हुआ।सोमवार की रात रुदौली नगर की शिया आसफी मस्जिद बड़ा इमामबाड़ा मोहल्ला सूफियाना में ईद ऐ ग़दीर की महफ़िल का आयोजन किया गया।जिसमे उपस्थित शायरों ने मौला अली के शान में कसीदे पढ़े।
क्यों मनाई जाती है ईद ऐ ग़दीर
ईद-ए-गदीर जिल्लहिजा(बकरीद)की 18 तरीख को मनाते हैं।इसी दिन पैगम्बर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद(स.अ.व.)ने अपने आखिरी हज से लौटते हुए कुम नामक स्थान पर गदीर के मैदान में सवा लाख हाजियों के दर मियान हजरत अली(अ.स.)को अपना उत्तराधिकारी बनाया।यह वाकया गदीर जिसका जिक्र हदीसों की कई किताबों में दर्ज है।ईद ऐ ग़दीर शिया धर्म के पहले इमाम हजरत अली को हज़रत मोहम्मद मुस्तफा स० साहब ने गदीर के मैदान में अपना उत्तराधिकारी और इस्लाम का खलीफा घोषित किए जाने की खुशी में मनाई जाती है।शिया समुदाय के लोग सुबह से ही स्नान कर मस्जिदों में नमाज पढ़नी और महफिल का आयोजन करते है।ईद ए गदीर को ईद ए अकबर यानि(बड़ी)ईद भी कहा जाता है।इस दिन रोजा रखना ऐसा है जैसे पूरी उम्र रोजा रखने का सवाब मिल जाए।गरीब को एक रुपये देने का सवाब भी एक लाख रुपये देने के बराबर यह सभी ईदों से बढ़कर ईद है।रुदौली व आस पास के इलाक़ो में ईद-ए-गदीर बड़े ही जोश खरोश के साथ मनाई गई।घरों में विशेष पकवान बनाया गया।
इस मौके पर इमाम ऐ जुमा मौलाना सरफ़राज़ हुसैन,वफ़ा रुदौलवी,नजफ़ रुदौलवी,डॉक्टर नज़ीर अब्बास,मास्टर खुर्शेद,शबीउल हसन,ज़ियाउल हसन,जानू,नासिर अब्बास, काशफी समेत काफी तादाद के लोग मौजूद रहे।