स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के तहत अब आवारा पशुओं को भी पकड़ने का काम होगा। केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने मिशन के तहत होने वाले कार्यों में आवारा पशुओं को पकड़ने का भी काम शामिल कर दिया है। इसको प्रभावी तरीके से संचालित करने के लिए सरकार ने पहले चरण में 139 नगर निकायों के लिए 24 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। इस रकम से पशुओं के पकड़ने के लिए वाहन (कैटल कैचर) खरीदने व अन्य इंतजाम किए जाएंगे।
दरअसल, स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान शहरों के पिछड़ने में आवारा पशुओं द्वारा फैलाई जाने वाली गंदगी को भी एक वजह माना गया था। इससे पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है। इसके मद्देनजर मंत्रालय ने स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) में आवारा पशुओं को पकड़कर नगर निकायों के पशु आश्रय केंद्रों या कांजी हाउस में रखने की व्यवस्था की है।
खास बातें
पहले चरण में प्रदेश के 139 नगर निकायों में लागू होगी व्यवस्था
पशुओं को पकड़ने के लिए खरीदे जाएंगे कैटल कैचर
आवारा पशुओं से शहरों में होने वाली गंदगी रोकने की कवायद
केंद्र ने मिशन के तहत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन मद से ऐसे पशुओं को पकड़ने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। पहले चरण में प्रदेश के 139 शहरों में इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा। इसके लिए पहली किस्त के तौर पर सरकार ने 24 करोड़ 32 लाख 50 हजार रुपये की व्यवस्था कर दी है। जल्द ही चयनित शहरों में यह व्यवस्था लागू की जाएगी।
हर जिले में एक निकाय होगा नोडल एजेंसी
जिले के सभी नगर निकायों में आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए सबसे बड़े निकाय को नोडल एजेंसी बनाया जाएगा। इसी निकाय की देखरेख में कैटल कैचर खरीदने से लेकर सारे काम किए जाएंगे। नोडल निकाय ही सभी निकायों के लिए कैटल कैचर की व्यवस्था करेगा। निकायों में नियमित रूप से वाहन उपलब्ध रहे, इसके लिए नोडल निकाय रोस्टर तैयार करेगा और उसी के अनुसार संबंधित निकाय को वाहन उपलब्ध कराएगा और पशुओं के पकड़ने का अभियान चलाएगा।
निकायों को किराये पर मिलेगा कैटल कैचर
स्वच्छ भारत मिशन के तहत खरीदे गए कैटल कैचर नगर निकायों को किराये पर उपलब्ध कराए जाएंगे। नोडल निकाय से वाहन प्राप्त करने व किराए का निर्धारण और रोस्टर संबंधित जिले का डीएम तय करेगा। हालांकि कैटल कैचर खरीदने, रख-रखाव व स्वामित्व का दायित्व नोडल निकाय का होगा।
एक माह में पकड़ने होंगे 250 पशु
कैटल कैचर के उपयोग की प्रक्रिया भी डीएम के स्तर पर तय होगी। निकायों में रोजाना 10 पशुओं को पकड़ने के लिए कम से कम 25 दिनों तक अभियान चलाया जाएगा। इस तरह हर माह निकायों को 250 पशु पकड़ने का लक्ष्य दिया जाएगा। निकायवार इसका रोस्टर भी तैयार किया जाएगा।