अयोध्या (Ayodhya) के राम जन्मभूमि (Ram Janambhoomi) और बाबरी मस्जिद जमीन विवाद (Babri Mosque Land Dispute) की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ के समक्ष बुधवार को भी हुई. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस (Chief Justice) रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) ने रामजन्म स्थान पुनरुद्धार समिति के वकील से कहा कि वह इस मामले में पुख्ता सबूत पेश करें और सिर्फ पुराणों और अन्य धर्मग्रंथों की कहानी न सुनाएं. शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कहा कि ये मामला किसी आस्था का नहीं है बल्कि विवादित जमीन से जुड़ा है. इस मामले पर अब गुरुवार को सुनवाई होगी. बता दें, 6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई कर रही है. बुधवार को इसका नौवां दिन था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम आस्था को लेकर लगातार दलीलें सुन रहे है, जिन पर हाईकोर्ट ने विश्वास भी जताया है. इस पर जो भी स्पष्ट साक्ष्य हैं वह बताएं. सीजेआई ने कहा कि मानचित्र में यह साफ करिए कि मूर्तियां कहां हैं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू ग्रंथों में आस्था का आधार विवादित नहीं है, मंदिर के लिए दस्तावेजी सबूत पेश करिए.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि स्कंद पुराण कब लिखा गया था?
इससे पहले रामजन्म स्थान पुनरुद्धार समिति के वकील पीएन मिश्रा ने स्कंद पुराण का जिक्र किया, जिसमें लोग सरयू नदी में स्नान करने के बाद जन्मस्थान का दर्शन करते थे. इसमें मंदिर का जिक्र नहीं है, लेकिन जन्मस्थान का दर्शन करते थे. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि स्कंद पुराण कब लिखा गया था? राम जन्मस्थान पुनरुद्धार समिति के वकील पीएन मिश्रा ने कहा कि ब्रिटिश लिखक के अनुसार गुप्तवंश के समय में लिखा गया, यह भी कहा जाता है 4-5 AD में लिखा गया. पीएन मिश्रा ने कहा कि हमारा मानना है कि बाबर ने वहां कभी कोई मस्जिद नहीं बनवाई और हिंदू उस स्थान पर हमेशा पूजा करते रहे हैं. हम इसको जन्मभूमि कहते हैं.
भगवान रामलला नाबालिग हैं
इससे पहले रामलला विराजमान की तरफ से वरिष्ठ वकील एसएन वैद्यनाथन ने विवादित जमीन पर रामलला का दावा बताते हुए कई दलीलें पेश की. वैद्यनाथन ने कहा, ‘अगर वहां पर कोई मंदिर नहीं था, कोई देवता नहीं है तो भी लोगों की जन्मभूमि के प्रति आस्था काफी है. वहां पर मूर्ति रखना उस स्थान को पवित्रता प्रदान करता है. उन्होंने आगे कहा कि अयोध्या के भगवान रामलला नाबालिग हैं. नाबालिग की संपत्ति को न तो बेचा जा सकता है और न ही छीना जा सकता है. उन्होंने कहा कि अगर जन्मस्थान देवता है, अगर संपत्ति खुद में एक देवता है तो भूमि के मालिकाना हक का दावा कोई और नहीं कर सकता. कोई भी बाबरी मस्जिद के आधार पर उक्त संपत्ति पर अपने कब्जे का दावा नहीं कर सकता.