सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद क्या निजी कंपनियां डिलीट करेंगी यूजर्स का आधार डेटा!

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। आधार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद निजी कंपनियों को उपभोक्ताओं का डेटा डिलीट करना होगा। वहीं उपभोक्ता भी इस फैसले का हवाला देते हुए अपने डेटा को मिटाने की मांग सकते हैं।

आधार की संवैधानिकता पर चल रही बहस से पहले मोबाइल कंपनियां, बैंक और बीमा कंपनियां समेत अन्य आधार नंबर की मांग कर रही थी और स्थिति साफ नहीं होने की वजह से लोगों ने अपनी यह जानकारी निजी कंपनियों को दी भी थीं।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने साफ कर दिया है कि कोई निजी कंपनी किसी भी उपभोक्ता से आधार कार्ड की मांग नहीं कर सकती। इसके बाद उपभोक्ता इन कंपनियों से अपनी जानकारी डिलीट करने के लिए कह सकते हैं।

हालांकि इस बारे में सरकार को नियमों को लेकर स्थित स्पष्ट करनी होगी। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक सरकार निजी कंपनियों मसलन मोबाइल कंपनियों के आधार के इस्तेमाल को जारी करने के लिए अलग से कानून ला सकती है।

ऐसी नहीं होने की स्थिति में वोडाफोन-आइडिया, एयरटेल और रिलायंस जियो जैसी कंपनियों को उपभोक्ताओं के आधार से जुड़े डेटा को डिलीट करना होगा। वहीं आरबीआई या वित्त मंत्रालय की तरफ से बैंकिंग संस्थाओं को भी इस डेटा को डिलीट करने का आदेश देना होगा।

गौरतलब है कि ‘आधार’ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा कि निजी कंपनियां या लोग ग्राहक सेवा प्रदान करने के लिए आधार डेटा नहीं प्राप्त कर सकती हैं। अदालत ने आधार अधिनियम की धारा 57 को निरस्त कर दिया है, जो निजी कंपनियों को डेटा साझा करने की अनुमति प्रदान करती है।

हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा करना बेहद मुश्किल होगा। देश में साइबर कानून के जानकार पवन दुग्गल ने कहा कि आधार पर आए फैसले से नागरिकों को बड़ी राहत मिली है। अब बड़ा काम यह सुनिश्चित करना है कि जिनी कंपनियों के पास पहले से जो डेटा है, उसका दुरुपयोग नहीं हो या उसे बेचा न जाए।

डेटा नष्ट करने की आवश्यकता है, लेकिन अब दायित्व यह सुनिश्चित करने का है कि कंपनियां डेटा की प्रति तैयार न करें और अपने कार्य संचालन के लिए इससे पैसे न कमाएं। बड़ा सवाल यह है कि कौन-सी एजेंसी इस बड़े कार्य का परीक्षण करेगी।

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