खेतों में काम किया, ऑक्सफोर्ड से की पढ़ाई, फिर ऐसे बनीं IPS

विदेश में की पढ़ाई, देश की सेवा के लिए पास की UPSC की परीक्षा, फिर बनीं IPS इल्मा अफरोज
अगर आपने पढ़ाई विदेश से की है तो आप चाहेंगे कि आप विदेश में ही रहकर नौकरी करें और अच्छा पैसा कमाएं. वहीं कई ऐसे लोग भी हैं, जो देश के लिए कुछ करना चाहते हैं. हम बात कर रहे हैं इल्मा अफरोज की. जिन्होंने ऑल इंडिया सिविल सर्विसज में 217वीं रैंक हासिल की है. आज गरीबी से जूझकर वह IPS ऑफिसर बन गई हैं. जानें उनके संघर्ष की कहानी…

इल्मा यूपी के मुरादाबाद की रहने वाली हैं. वह किसान की बेटी हैं. पिता के निधन के बाद वह मां और भाई के साथ खेतों में हाथ बंटाने लगी, लेकिन इस बीच उन्होंने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी. जहां लोगों को सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास करने में कई साल लग जाते हैं वहीं गांव में पढ़ाई करके इल्मा ने पहली बार में ही 217वीं रैंक हासिल की है. इल्मा ने बताया कि जब मुझे मालूम चला कि यूपीएससी की परीक्षा में 217वीं रैंक हासिल की तो मेरे मुंह से निकला ‘जय हिंद’.

गांव में रहने वाली इल्मा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन की है. जिसके बाद ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से आगे की पढ़ाई की. विदेश में पढ़ते हुए भी उनका सपना देश के लिए कुछ करने का था. एक चैनल को इंटरव्यू देते हुए उन्होंने बताया ऑक्सफोर्ड में पढ़ने के दौरान न्यूयॉर्क में रहती थी और वहां पर काफी चकाचौंध थी. वहीं मैं ऐसी जगह से आई हूं जहां मैंने मोमबत्ती में भी पढ़ाई की है. मेरी मां चुल्हे पर रोटी बनाया करती थीं. उन्होंने कहा फ्लाइट के पैसे भी खेती-बाड़ी से ही आते हैं. तब मैंने सोचा विदेश में पढ़ाई करके अगर मैं विदेश के लोगों की सेवा करूं तो इससे मेरे गांव और परिवार वालों को कोई फायदा नहीं होगा जिन्होंने मुझ पर इतनी मेहनत की है. जिसके बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की.



उन्होंने बताया सफलता की राह आसान नहीं होती है. कई बार ऐसा हुआ है जब असफलता हाथ लगी. मैं वकील बनना चाहती थी लेकिन स्कॉलरशिप न मिलने पर कोलंबिया यूनिवर्सिटी में एडमिशन नहीं हो पाया. वहीं जब मेहनत शुरू की तो राह खुलने लगी. वह बताती है कि सबसे ज्यादा शुक्रगुजार में अपने मुल्क का करती हूं, जिन्होंने मुझे स्कॉलरशिप दी. जिस वजह से मेरी पढ़ाई बाहर विदेश में हुई. आपको बता दें, यूपीएससी की परीक्षा में 217वीं रैंक लाने के दिन तक इल्मा खेतों में काम करती रहीं और अब भी खेती-बाड़ी से जुड़ी हुई हैं.

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