नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा कोविड-19 के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकालीन अधिसूचना वापस लेने के लगभग 7 महीने बाद, वायरस ने एक बार फिर टेंशन बढ़ा दी है, ओमिक्रॉन वेरिएंट नए सबवेरिएंट में बदल गया है. इसमें लेटेस्ट जेएन.1 सब वेरिएंट भी शामिल है, जिससे कोविड मामलों में वृद्धि हुई है. हालांकि विशेषज्ञों ने कहा कि वे इसे नई लहर कहने से पहले कुछ और दिनों तक इंतजार करेंगे और घबराने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने चेतावनी दी है कि WHO द्वारा घोषित ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ सूची अंतिम नहीं हो सकता है.
TOI की रिपोर्ट के अनुसार WHO की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा, मौसमी फ्लू जैसे इन्फ्लूएंजा ए (एच1एन1 और एच3एन2), एडेनोवायरस, राइनोवायरस और रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस के कारण होने वाले श्वसन संक्रमण, मॉनसून से संबंधित बीमारियों का कारण बन सकते हैं, जो कोविड-19 लक्षणों की तरह ही होते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि ‘लक्षणों के साथ हर किसी का परीक्षण करना संभव नहीं है. हमें गंभीर श्वसन संक्रमण या निमोनिया से पीड़ित अस्पताल में भर्ती लोगों का परीक्षण करना चाहिए.’ वहीं वृद्धि की भविष्यवाणी करने का एक तरीका अपशिष्ट जल में रोगाणुओं की तलाश करना है. ग्लेनीगल्स ग्लोबल हेल्थ सिटी के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. सुब्रमण्यम स्वामीनाथन ने कहा, कई देशों में, एक समुदाय में फैल रहे विभिन्न संक्रमणों का पता लगाने और उनकी रिपोर्ट करने के लिए अपशिष्ट जल के सैंपल का परीक्षण किया जाता है.
क्या मास्क पहनना चाहिए?
सार्वजनिक स्वास्थ्य के पूर्व निदेशक डॉ. के. कोलांडाइसामी ने कहा कि ‘शादी हॉल, ट्रेनों और बसों जैसी बंद भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनना एक अच्छा विचार है. यह कोविड सहित कई वायु-जनित बीमारियों को रोक सकता है.’ उन्होंने आगे कहा कि ‘लेकिन अभी तक मास्क को अनिवार्य करने की कोई आवश्यकता नहीं है. बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और प्रतिरक्षा की कमी वाले लोगों को भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए. यदि वे ऐसा करते हैं, तो उन्हें मास्क अवश्य पहनना चाहिए.
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