Shabuddin Death: भाकपा माले के खिलाफ लड़ाई से सुर्खियों में आए थे शहाबुद्दीन, ऐसा रहा सियासी सफर

सीवान. बिहार के चर्चित बाहुबली और सीवान से राजद के पूर्व सांसद मोहम्‍मद शहाबुद्दीन (Mohammad Shahabuddin) का आज निधन हो गया. कोरोना संक्रमण की वजह से उन्हें कुछ दिन पहले दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इलाज के दौरान ही पूर्व सांसद ने आखिरी सांसें लीं. सीवान जिले के प्रतापपुर में 10 मई 1967 को जन्मे शहाबुद्दीन की प्रारंभिक शिक्षा पहले प्रतापपुर से फिर सीवान शहर में हुई.




उन्‍होंने सीवान के डीएवी कॉलेज से स्‍नातक करने के बाद राजनीति शास्‍त्र में एमए की उपाधि प्राप्‍त की. उन्होंने 2000 में मुजफ्फरपुर के बीआर अंबेडकर बिहार विश्‍वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्‍त की, जो काफी विवादों में रही. मोहम्‍मद शहाबुद्दीन की शादी हिना शेख से हुई, जो 2009 में सीवान लोकसभा सीट से राजद के तरफ से चुनाव लड़ी थीं और हार गई थीं. उनके एक पुत्र और दो पुत्रियां हैं.

राजनीतिक जीवन: मो. शहाबुद्दीन 1980 में डीएवी कॉलेज से ही राजनीति में आ गए. वे कॉलेज के दिनों में ही भारतीय कम्‍युनिस्ट पार्टी (भाकपा माले) तथा भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ लड़ाई के बाद से पहचाने जाने लगे. उनके खिलाफ पहली बार 1986 में हुसैनगंज थाने में आपराधिक केस दायर हुआ जिसके बाद उनके खिलाफ लगातार केस दर्ज होते चले गए. जिसके कारण वे देश की क्रिमिनल हिस्‍ट्रीशीटर की लिस्‍ट में शामिल हो गए.




1990 में मो. शहाबुद्दीन लालू प्रसाद की राष्‍ट्रीय जनता दल के युवा मोर्चा में शामिल हो गए. वे सीवान विधानसभा क्षेत्र से 1990 और 1995 में जीत हासिल कर राज्‍य विधानसभा के सदस्‍य बने. वे 1996 में जनता दल के टिकट पर सीवान लोकसभा सीट से चुनाव जीते जिसके बाद उन्‍हें एचडी देवगौड़ा सरकार में गृह मंत्रालय का राज्‍यमंत्री बनाया गया जिसमें राज्‍य की कानून व्‍यवस्‍था बनाए रखने की जिम्‍मेवारी दी गई थी. मीडिया द्वारा उनके आपराधिक रिकॉर्ड के लगातार दिखाए जाने के बाद उन्‍होंने अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया.
बिहार पुलिस को झकझोर देने वाली घटना

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मो. शहाबुद्दीन 1997 में केंद्र से इस्‍तीफा देकर लालू प्रसाद यादव के साथ राज्‍य विधानसभा में वापस आ गए. इसके बाद उनका राज्‍य में प्रभाव बढ़ता गया. राज्‍य में उनके बढ़ते प्रभाव का ज्‍यादा असर सीवान जिले पर पड़ा, जहां की जनता भय की काली छाया में जीने लगी. 16 मार्च 2001 सीवान पुलिस के लिए काला दिन था, क्‍योंकि मो. शहाबुद्दीन ने राजद नेता मनोज कुमार की गिरफ्तारी के दौरान गई पुलिस को रोका और पुलिस अफसर को जोरदार थप्‍पड़ तथा उनके समर्थकों ने पुलिस को मारा. इस घटना ने बिहार पुलिस को झकझोरकर रख दिया.




2004 में होने वाले चुनाव की तैयारियां करने लगे
इस हमले के बाद दोनों ओर से कई राउंड गोलियां चलीं जिसमें पुलिस वाले सहित कई लोग मारे गए. इस मुठभेड़ के बाद भी मो. शहाबुद्दीन घर से भागकर नेपाल पहुंच गया. पुलिस को उनके घर से तलाशी के दौरान विदेशी हथियार सहित कई विदेशी पासपोर्ट मिले लेकिन मनोज कुमार व शहाबुद्दीन नहीं मिले. 2003 में मो. शहाबुद्दीन वर्ष 1999 में माकपा माले के सदस्‍य का अपहरण करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिए गए, लेकिन वे स्‍वास्‍थ्य खराब होने का बहाना कर सीवान जिला अस्‍पताल में रहने लगे, जहां से वे 2004 में होने वाले चुनाव की तैयारियां करने लगे.




दबाव में न आकर उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी

चुनाव में उन्होंने जनता दल यूनाइटेड के प्रत्याशी को 3 लाख से ज्‍यादा वोटों से हराया. इसके बाद शहाबुद्दीन के समर्थकों ने 8 जदयू कार्यकर्ताओं को मार डाला तथा कई कार्यकर्ताओं को पीटा. समर्थकों ने ओमप्रकाश यादव के ऊपर भी हमला कर दिया जिसमें वे बाल-बाल बचे, मगर उनके बहुत सारे समर्थक मारे गए. इस घटना के बाद मो. शहाबुद्दीन के ऊपर राज्‍य के कई थानों में 34 मामले दर्ज हो गए. 2005 में वे रिहा होकर सीवान आए. उसी दौरान राज्‍य में 7 दिन के लिए नीतीश कुमार सत्‍ता में आए और सबसे पहले सीवान के एसपी और डीएम को हटाया तथा देश के तेजतर्रार एसपी रत्‍न संजय और डीएम सीके अनिल सीवान में पदस्थ हुए. इन दोनों के आने के बाद उन पर कई बार शहाबुद्दीन से समझौता करने का दबाव बना, मगर उन्होंने दबाव में न आकर उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी.