अयोध्या में 28 प्रतिशत बच्चें के आंखे प्रभावित:कोरोना के बाद बच्चों में परेशानियां; दो लाख 60 हजार बच्चों और किशोर की आंखों की जांच

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की स्क्रीनिंग में सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों के 28 प्रतिशत बच्चों की आंखें प्रभावित पाई गईं। 1761 सरकारी स्कूल और 1508 आंगनबाड़ी केंद्रों के दो लाख 60 हजार बच्चों और किशोर की आंखों की जांच की गई।
72,800 की आंखों में किसी न किसी तरह की परेशानी
सरकारी स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों में स्वास्थ्य विभाग की टीम जाकर 40 बीमारियों की स्क्रीनिंग कर रही है। इसमें सबसे ज्यादा मामले आंखों से संबंधित बीमारियों से की मिलीं। छह महीने में सरकारी स्कूलों के 1 लाख 85 हजार और आंगनबाड़ी केंद्रों में भी 75 हजार बच्चों की स्क्रीनिंग की गई। इसमें से 72,800 की आंखों में किसी न किसी तरह की परेशानी मिली। सबसे ज्यादा बच्चों में दूर दृष्टि से संबंधित शिकायत मिली। इनकी जांच के बाद नजर का चश्मा दिया है। इसके बाद सबसे ज्यादा मरीज दांतों की बीमारियों से पीड़ित थे। तीसरे स्थान पर त्वचा संक्रमण के मरीज थे।




जिला जन स्वास्थ्य विभाग स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों में नियमित रूप से स्क्रीनिंग की जा रही है। स्क्रीनिंग में किसी बीमारी के मिलने पर डॉक्टर जांच करते हैं। जरूरत पड़ने पर उन्हें स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल में इलाज के लिए भेजा जाता है। ताकि बेहतर इलाज मिल सके।

कोरोना काल में बच्चों की आंखों हुई कमजोर
कोरोना काल में बच्चों की आंखों हुई कमजोर




बच्चों की नजर प्रभावित
निजी स्कूलों के बच्चे भी आंखों की बीमारी से प्रभावित सरकारी स्कूलों के साथ ही निजी स्कूलों के बच्चों में भी दूर दृष्टि दोष की परेशानी आई है। कोरोना महामारी के दौरान निजी स्कूलों में भी ऑनलाइन क्लास कराई गई थी। जो बच्चे पहले से ही चश्मा लगा रहे थे, उनका पावर बढ़ गया है। साथ ही सामान्य बच्चों की नजर प्रभावित हुई है।
कोरोना से परेशानी बढ़ी
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. ज्योति दूबे ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान बच्चों की आंखों में परेशानी बढ़ी है। घरों में रहने, ऑनलाइन क्लास सहित इसके कई कारण हैं। उस दौरान बच्चों को धूप नहीं मिलने और कमरों में बंद रहने से दूर की दृष्टि कमजोर हुई।




चार प्रतिशत को रेफर किया
एक लाख बच्चों की स्क्रीनिंग में चार हजार बच्चों को जिला अस्पताल, स्वास्थ्य केंद्र आदि में इलाज के लिए रेफर किया गया। ये सभी बीमारियों के मरीज हैं। इनमें से कई का इलाज चल रहा है। गंभीर और अति गंभीर मरीजों का इलाज बाल चिकित्सालय में करवाया जाता है।

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