77 साल के हुए अजीम प्रेमजी:साबुन-वेजिटेबल ऑयल की कंपनी से IT की विप्रो बनाई, 9713 करोड़ देकर भारत के सबसे बड़े दानवीर बने

पापा के निधन के बाद 21 साल की उम्र में कंपनी की कमान संभाली। बिजनेस को कई ऊंचाई तक पहुंचाया। पिछले ही साल 2021 में 9,713 करोड़ रुपए का दान देकर भारत के सबसे बड़े दानवीर बने। ऐसे ही महान प्रतिभा के धनी विप्रो के मालिक अजीम प्रेमजी का आज 77वां जन्मदिन है।




वो अजीम प्रेमजी ही थे, जिन्होंने साबुन और वेजिटेबिल ऑयल के कारोबार करने वाली कंपनी वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड को अमेरिकन कंपनी सेंटिनल कंप्यूटर कॉर्पोरेशन के साथ मिलकर 1980 में आईटी कंपनी के तौर पर इंट्रोड्यूस कराया। कंपनी पर्सनल कंप्यूटर बनाने के साथ सॉफ्टवेयर सर्विसेज भी प्रोवाइड कराने लगी। इसके बाद ही कंपनी का नाम बदलकर विप्रो (WIPRO) किया गया था।

हालांकि आईटी कंपनी विप्रो के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर अजीम प्रेमजी 30 जुलाई 2019 को रिटायर हो चुके हैं। ऐसे में आज हम आपको खाने के तेल की कंपनी को टेक्नोलॉजी कंपनी विप्रो बनाने के सफर से लेकर अजीम से मिलने वाली सीख और उनसे जुड़े इंट्रेरेस्टिंग फैक्ट ग्राफिक्स के जरिए बता रहे हैं।










1. पार्किंग सबकी है, अगर मुझे चाहिए तो ऑफिस पहले आना होगा
एक बार विप्रो के एक कर्मचारी ने कार वहां पार्क कर दी जहां अजीम अपनी कार खड़ी करते थे। अधिकारियों को पता चला तो सुर्कुलर जारी किया गया कि कोई भी भविष्य में उस जगह पर गाड़ी खड़ी न करे। प्रेमजी ने जब यह देखा तो सर्कुलर का जवाब भेजा। उन्होंने लिखा ‘कोई भी खाली जगह पर वाहन खड़ा कर सकता है। यदि मुझे वही जगह चाहिए तो मुझे दूसरों से पहले ऑफिस आना होगा।’

2. इंटरव्यू लेने के लिए खुद सुबह 7 बजे पहुंचकर ऑफिस खोला
विप्रो की डब्ल्यूईपी सॉल्यूशन्स के एमडी राम नारायण अग्रवाल 1977 में विप्रो से जुड़े। जब वे सुबह सात बजे इंटरव्यू के लिए पहुंचे तो एक युवक आया और ऑफिस खोलने लगा। उन्हें लगा कि ये ऑफिस एडमिनिस्ट्रेशन का व्यक्ति है। युवक उन्हें रिसेप्शन पर बैठाकर अंदर चला गया। थोड़ी देर बाद इंटरव्यू के लिए बुलाते हुए उसी युवक ने अपना परिचय दिया, ‘मैं प्रेमजी हूं।’ इंटरव्यू 12 घंटे चला।




3.बिजली के लिए रिश्वत मांगी गई तो बोले हम खुद बना लेंगे बिजली
1987 में विप्रो ने अपने तुमकूर (कर्नाटक) कारखाने के लिए बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन किया। कर्मचारी ने इसके लिए एक लाख रुपए रिश्वत मांगी। प्रेमजी ने रिश्वत देने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा, नियम से सप्लाई नहीं मिलेगी तो हम अपनी बिजली खुद बना लेंगे। विप्रो ने जेनरेटर से काम चलाया, जिससे 1.5 करोड़ रु. का नुकसान हुआ।

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